बुधवार, 22 अप्रैल 2009

क्या आप जानते हैं...?

शायद जो बातें मै बताने जा रही हूँ, आपलोग ज़रूर जानते होंगे...फिरभी, दिल कह रहा है, आपके साथ बाँट लूँ...! वो ये की:

१) हमें इश्तेहरोंमे बताया जाता है..." दिलके लिए अच्छा तेल"...जो कि "refined oil" होता है..cholesterol के लिए सबसे बद्दत्तर होता है? बेहतर है हम कच्ची घनी काही तेल इस्तेमाल करें...चाहे वो मूँगफली का हो....तेल जितना अधिक तपाया जाता है, वो उतना अधिक घातक बनता है। Refined oil बेहद तेज़ तपाया जाता है।

२) बघार के लिए कमसे कम तेल तपायें...तडका लगाके उसमे सब्ज़ी डाल दें...फिर चाहें उपरसे कच्चा तेल ज़रूरत के मुताबिक और डाल लें। अधिक बेहतर है, गर तडका गायके घीमे लगाया जाय.....तपनेसे उसके गुण नष्ट नही होते...

३) जानते हैं गायके दूधका रंग पीला क्यों होता है ? गाय एक प्राणि है, जिसकी देहमे सूर्य किरनोंके गुणधर्म absorb
किए जाते हैं....इसी कारण रंग पीला होता है।

४) सूखे मेवेमे बादाम तो बेहतरीन होतेही हैं...गर सही मिक़दार मे लिए जाएँ....जैसे कि ३ बादाम रातमे भिगोके सुबह छिलका उतारके खाए जायें।

५) लेकिन अखरोट, जो कई लोगोंको नही भाते, उनमे ओमेगा ३ essential oil होता है। ओमेगा ३ वही है, जो चंद क़िस्म की मछलियों मे उपलब्ध होता है।

६) दीवाली या अन्य त्योहारोंमे आजकल सूखा मेवा देनेका चलन है। कई बार घरमे इतना अधिक जमा हो जाता है,कि, उसे कैसे ख़राब होनेसे बचाया जाय ये सवाल उठता है। सबसे बेहतर है, सारे सूखे मेवेको अलग, अलग करके, या तो चंद मिनटों के लिए मैक्र्वेव मे गरम कर लिया जाय, या फिर कधी मे तपाके, ठंडा करके , मर्तबानों मे रखा जाय।

७) इनके इस्तेमाल का एक और तरीका है। काजू, बादाम, पिसते, अखरोट अआदिको पीसके बोतलों मे रख लें। कभी, कबार, इनमेसे कोई एक पावडर रस्सेदार सब्जीमे या मुर्ग /मीट की तरीमे डाल सकते हैं....एकाध बड़ा चम्मच..इससे ना नुकसान होगा, बल्कि, स्वाद बढेगा...अखरोट की ( दरदरा पिसे हुए) चटनी भी बड़ी अच्छी बनती है...हरा धनिया, हरी मिर्च, नमक और दही...
अखरोट को कभी पुलावमे बुरक दें, कभी सब्जियोंमे, तो कभी टोस्ट पे ...और टोस्ट brown ब्रेड्काही लें...हो सके उतना मैदा इस्तेमाल नाही करें...

८) सफ़ेद चावलके बदले brown rice इस्तेमाल करके देखें...कुछ दिनोंमे स्वाद अच्छा लगने लगेगा...कभी खिचडी...उसीमे गेहूँका बना दलियाभी मिला सकते हैं...और बादमे हलकी-सी पकी सब्जियाँ...जैसे चायनीज़ खानेमे मिलाई जाती हैं...या मटर और प्याज मिलाई जा सकती है।

९) आलू उतने बुरे नाही जितना कि जताया जाता है...खासकर छिलकों के साथ बनायें जाएँ और तले हुए ना हों...व्रत आदि के समय तलनेभी हो, तो तवेपे potato fingers (उबले आलूके), तलें...नाकि कढाई मे। जानते हैं, डीप fried आलू carsenojenic( कैंसर होनेका ख़तरा रखते हैं) होते हैं? जो चिप्स हम या हमारे बच्चे इतने मज़े लेके खाते हैं, वो सहेत के लिए बेहद ख़राब होते हैं...!

१०)अलग तरहके flakes के इतने इश्तेहार आते हैं...कभी देखा है, उनमे कार्ब की कितनी मात्रा है और अन्य जीवन सत्वोंकी? जिस तरेकेसे ये flakes बनाये जाते हैं( बाहरसे आनेवाले या परदेसी companies के बैनर तले बने), वो तरीका ही बेहद घातक होता है...इन सभी को अत्यन्त ऊँचे तापमानका इस्तेमाल करके बनाया जाता है...इसलिए इनमे जोभी जीवनसत्व मौजूद होते हैं, सब नष्ट हो जाते हैं...उपरसे जो मिलाया जाता है, उसका "प्रतिशत "पढ़ लें..! उच्च तापमान अव्वल तो इन्हें कार्सिनोजेनिक बना देता है.......इनपे लिखा गया काफ़ी, अनुसंधानपे आधारित साहित्य मौजूद है..ज़रूर पढ़ें...
बेहतर है, हम घरमे बना दलिया खाएँ...या खरीदनाही हो तो दलिया खरीदें...उसीमे वहीत गर्म मिला सकते हैं...या अन्य पदार्थ जो flakes या मुसली मे होते हैं...जैसे कि, किशमिश, तथा अन्य सूखा मेवा।

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